
पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाक पीएम की गीदड़भभकी
Jammu and Kashmir: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा उठाए गए सख्त कदम ने पाकिस्तान में खलबली मचा दी है। भारत ने सिंधु जल संधि को रद्द करने की घोषणा कर पाकिस्तान की जीवन रेखा मानी जाने वाली नदियों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। इस ‘जल प्रहार’ के बाद पाकिस्तान में गहरी बेचैनी फैल गई है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए भारत को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा, ‘अगर भारत हमारे हिस्से का पानी रोकने की हिम्मत करता है तो हमारी सेना मुंहतोड़ जवाब देगी।’ शाहबाज ने यह भी कहा कि पाकिस्तान 24 करोड़ लोगों का देश है और वह अपनी सेना के साथ मजबूती से खड़ा है।
शाहबाज शरीफ ने दोहराया, ‘शांति हमारी प्राथमिकता है, लेकिन हम अपनी संप्रभुता और सुरक्षा से कभी समझौता नहीं करेंगे। इस मामले में किसी को कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए।’ सिंधु तट से चुनौती: बिलावल भुट्टो का तीखा भाषण पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो भी इस मुद्दे पर खुलकर सामने आए।
सिंधु नदी के तट पर एक जनसभा को संबोधित करते हुए बिलावल ने आक्रामक तेवर दिखाए। उन्होंने कहा, ‘सिंधु नदी में या तो पानी बहेगा या फिर उन लोगों का खून बहेगा जो हमारा हिस्सा छीनना चाहते हैं।’ बिलावल ने यह भी दावा किया कि सिंधु नदी पाकिस्तान की साझी विरासत है और इसे कोई भी पाकिस्तान से नहीं छीन सकता।
बिलावल ने पाकिस्तान के हर नागरिक से अपील करते हुए कहा कि अब समय आ गया है जब हर पाकिस्तानी दुनिया को बताए कि सिंधु नदी पर डकैती बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘दुश्मन की नजर अब हमारे पानी पर है और पूरे देश को एकजुट होकर इसका जवाब देना होगा।’ भारत की रणनीति: पानी के मोर्चे पर दबाव सिंधु जल संधि को खत्म करने का भारत का फैसला महज कूटनीतिक कदम नहीं है, बल्कि इसे पाकिस्तान के वजूद की नब्ज पर दबाव बनाने की रणनीति माना जा रहा है।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही खस्ताहाल है और अब अगर पानी जैसे महत्वपूर्ण संसाधन पर संकट बढ़ा तो हालात और भी खराब हो सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह कदम पाकिस्तान को आर्थिक, सामाजिक और सामरिक तीनों मोर्चों पर घुटने टेकने पर मजबूर कर सकता है।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा अपनाए गए सख्त रुख से पाकिस्तान को न सिर्फ आतंकवाद बल्कि उसके ‘पानी के हथियार’ को भी करारा जवाब मिल रहा है। आने वाले समय में यह संकट भारत-पाक संबंधों में तनाव को और बढ़ा सकता है। अब देखना यह है कि पाकिस्तान इस चुनौती का सामना कैसे करता है- क्या वह पानी बचाने के लिए कूटनीति का रास्ता चुनेगा या युद्ध की राह पर आगे बढ़ेगा।
इंडियन पॉलिटिक्स ब्यूरो।