
प्रशांत किशोर
जन सुराज पार्टी के संस्थापक और जाने-माने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने रविवार 27 अप्रैल को नालंदा जिले के हरनौत विधानसभा क्षेत्र में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बड़ा ऐलान किया। उन्होंने ऐलान किया कि बिहार में नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा, जिसकी शुरुआत 11 मई को खुद मुख्यमंत्री के पैतृक गांव कल्याण बिगहा से होगी।
प्रशांत किशोर ने कहा, “बिहार में आम धारणा है कि भले ही पूरे राज्य का विकास ठप है, लेकिन नीतीश कुमार ने अपने गृह जिले में उल्लेखनीय काम किया है। हमारा उद्देश्य जमीनी सच्चाई के जरिए इस मिथक को तोड़ना है।”
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रशांत किशोर ने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा और कहा कि उनकी सरकार ने गरीब परिवारों को 2 लाख रुपये की आर्थिक मदद देने का जो वादा किया था, वो जमीन पर कहीं नजर नहीं आ रहा है।
किशोर ने चुटकी लेते हुए कहा, “मुख्यमंत्री ने खुद विधानसभा में कहा था कि राज्य में 94 लाख परिवार इस सहायता के लिए पात्र हैं, लेकिन अब तक यह योजना सिर्फ कागजों तक ही सीमित है। यह वादा भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हर बैंक खाताधारक को 15 लाख रुपये देने के वादे जैसा ही लगता है।”
भ्रष्टाचार और विकास के दावों की जांच प्रशांत किशोर ने सरकार पर अन्य वादों को भी पूरा नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि दलित परिवारों को खेती के लिए दो डिसमिल जमीन देने का वादा हो या राज्य में चल रहा भूमि सर्वेक्षण कार्यक्रम- हर जगह भ्रष्टाचार व्याप्त है। किशोर ने कहा, “दो दशक तक सत्ता में रहने के बावजूद मुख्यमंत्री अपने गांव में भी बदलाव नहीं ला सके, अब समय आ गया है कि इस हकीकत को जनता के सामने लाया जाए।”
जन सुराज उद्घोष यात्रा के तहत जोरदार स्वागत रविवार को जन सुराज उद्घोष यात्रा के तहत प्रशांत किशोर नालंदा पहुंचे, जहां उनका बिहारशरीफ और रहुई समेत कई जगहों पर जोरदार स्वागत किया गया। बिहारशरीफ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद किशोर ने लोगों से बातचीत भी की और अपनी योजनाओं के बारे में बताया।
जन सुराज पार्टी के इस कदम को बिहार की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है, जहां सत्ताधारी पार्टी को उसके गढ़ में घेरने की तैयारी की जा रही है। अब देखना दिलचस्प होगा कि 11 मई को कल्याण बिगहा से शुरू हो रहे इस अभियान का राज्य की राजनीति पर क्या असर पड़ता है।
इंडियन पॉलिटिक्स ब्यूरो।